पाठ 12 कैसे-कैसे बदले घर
मैं हूँ चेतनदास। सालों पहले मैं तुम्हारे जैसे छोटे-छोटे बच्चों को पढ़ाता था। आजकल अपने बीते हुए दिनों के बारे में लिखता हूँ। आज मैं तुम्हें अपने बारे में बताता हूँ।
एक बड़ा बदलाव
बात तब की है, जब मैं नौ वर्ष का था। समझो लगभग साठ साल पहले। उस समय हम डेरा गाज़ीखान में रहते थे। अब वह जगह पाकिस्तान में है। आस-पास बहुत गड़बड़ हो रही थी, पर उस समय मुझे कुछ भी समझ में नहीं आया था। बस, बाबा ने बताया कि हमें अपना गाँव छोड़कर दूसरी जगह जाना है। मुझे अपना घर, अपना गाँव छोड़ना बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा था। वहीं तो थे मेरे सारे दोस्त! मैं, बाबा, अम्मा, मेरे तीन छोटे भाई-बहन और आस-पास के बहुत सारे लोग रेलगाड़ी में बैठकर दिल्ली आ गए। लोग बातें करते थे कि हमारा देश दो हिस्सों में बँट गया है-भारत और पाकिस्तान। भारत में रहने वाले बहुत सारे लोग भी पाकिस्तान चले गए थे। हम कुछ दिन कैंप में रहे। कैंप एक बड़े से मैदान में बड़े-बड़े तंबू लगाकर बना था।
अध्यापक के लिए-इस पाठ को शुरू करने से पहले बच्चों को अँग्रेज़ों से भारत की आज़ादी और देश के बँटवारे के इतिहास के बारे में बताया जा सकता है। नक्शे में भारत और पाकिस्तान दिखाएँ।
एक नई शुरुआत
एक दिन बाबा ने बताया कि हमें सोहना गाँव में ज़मीन मिली है। अब हम वहीं अपना घर बनाएँगे। मैं बहुत खुश था। बाबा और अम्मा ने मिलकर घर बनाया। हम बच्चे भी कहाँ पीछे रहने वाले थे! बाबा ने पास से ही मिट्टी खोदी। हमने परात भर-भर कर माँ को पकड़ाई। गुड़िया ने अम्मा के साथ मिलकर उसमें भूसा मिलाया। बाबा ने दीवारें बनाईं।
हम आस-पास के घरों से गोबर ले आए। अम्मा ने उसे मिट्टी में मिलाया और ज़मीन पर लिपाई की। बिलकुल वैसे ही, जैसे वे पुराने घर में करती थीं। अम्मा कहतीं थीं कि इससे मिट्टी में कीड़ा नहीं लगता।
बस अब छत बनानी रहती थी। बाबा ने लकड़ी के फट्टे जोड़-जोड़ कर एक फ्रेम बनाया और उसे चारों दीवारों पर टिका दिया। लकड़ी को दीमक न लग जाए, इसके लिए नीम और कीकर की लकड़ियाँ इस फ़्रेम पर बिछा दीं। अम्मा ने पुरानी बोरियाँ इस पर बिछा कर मिट्टी से लेप कर दिया।
आस-पास के ज़्यादातर सभी घर ऐसे ही बने थे। पर मुझे अपना घर सबसे अच्छा लगता था-वह बिलकुल हमारे पुराने घर जैसा जो था।
पता करो और लिखो
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अपने घर में दादा-दादी या उनकी उम्र के किसी बड़े व्यक्ति से पता करो कि जब वे 8-9 वर्ष के थे, तब -
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वे किस जगह/शहर में रहते थे?
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उ उनका घर किन-किन चीज़ों से बना था?
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क्या उनके घर के अंदर टॉयलेट था? अगर नहीं, तो कहाँ बना था?
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उनके घर में खाना कहाँ बनता था?
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चेतनदास का घर बनाने में मिट्टी का भरपूर इस्तेमाल हुआ। क्यों?
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अध्यापक के लिए-सोहना गाँव हरियाणा में है। बच्चों को नक्शे में हरियाणा ढूँढ़ने को कहें। उनका ध्यान इस ओर दिलाया जा सकता है कि सोहना गाँव के अधिकतर घर बनाने में, आस-पास आसानी से मिलने वाली चीज़ें इस्तेमाल हुईं थीं। आस-पास मिलने वाली इन चीज़ों और उनके इस्तेमाल पर कक्षा में चर्चा करें।
मकान में बदलाव
समय बहुत जल्दी बीत गया। मेरी पढ़ाई पूरी हो गई और नौकरी भी लग गई। अम्मा-बाबा चाहते थे कि मैं शादी कर लूँ। सोचा, शादी से पहले घर की थोड़ी मरम्मत करवा लें। एक कमरा और डलवा लें। शहर में सीमेंट का बहुत चलन था। कहते थे, इससे मकान में बहुत मज़बूती रहती है। मैंने, बाबा और अम्मा की सलाह से नए कमरे की छत लोहे और सीमेंट से पक्की बनवाईं।
बाज़ार में तब कच्ची ईंटें भी मिलती थीं। कमरे की दीवारें हमने इन ईंटों से बनवा लीं। इससे यह फ़ायदा हुआ कि इन्हें हर हफ़्ते लीपना नहीं पड़ता था। साल में एक बार इन दीवारों की चूने से पुताई कर लेते थे। हमने आँगन में छोटी-सी पक्की रसोई भी बनवाई। उसमें एक तरफ़ मिट्टी का चूल्हा बना था और दूसरी तरफ़ बरतन रखने की जगह।
फिर मेरी शादी हो गई। मेरी पत्नी सुमन इसी घर में दुलहन बनकर आई थी। वह रसोई में नीचे बैठकर रोटियाँ पकाती और पूरा परिवार चटाई पर बैठकर एक साथ खाना खाता। सच, वे दिन भी क्या दिन थे!
गाँव के लोग तब टॉयलेट के लिए खेतों में जाते थे। कुछ लोगों ने इसके लिए घर में ही इंतज़ाम किया हुआ था। हमने भी वैसा ही किया। पिछवाड़े में कच्ची ईंटें लगाकर एक छोटा-सा टॉयलेट बनवा लिया।
अध्यापक के लिए-बच्चों को बड़ों से उनके समय के शौचालयों के बारे में जानने के लिए प्रेरित करें।
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चेतनदास बताते हैं कि टॉयलेट की सफ़ाई और मल-मूत्र उठाने के लिए बस्ती से लोग आते थे।
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जो लोग टॉयलेट का उपयोग करते थे, वे ही उसे साफ़ क्यों नहीं करते थे? चर्चा करो।
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क्या तुम्हारे घर में टॉयलेट है? उसे कौन साफ़ करता है?
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और भी बढलाव
मेरे दो बेटे और एक बेटी उसी घर में पैदा हुए। समय कैसे बीतता गया, पता ही नहीं चला। बच्चों की पढ़ाई पूरी हो गई। पंद्रह साल पहले हमने बेटी सिम्मी की शादी पलवल में कर दी। जब राजू की शादी की बात चली, तो सभी को लगा कि नई दुलहन के आने से पहले पूरे घर को पक्का करा लें।
तब तक हमारे गाँव में पक्की ईंटों का चलन शुरू हो चुका था। इसलिए दीवारें पक्की ईंटों से बनवाई और छत पर लेंटर डलवा लिया। फ़र्श भी मार्बल के दाने और सीमेंट से पक्का बनवा लिया। टॉयलेट में भी ऐसा इंतज़ाम करा दिया कि मल-मूत्र पाइपों से बाहर निकल जाए। रसोईघर पहले से बड़ा करवाया। राजू की बहू अब बैठकर मिट्टी के चूल्हे पर नहीं बल्कि खड़े होकर गैस-स्टोव पर खाना बनाती है।
अध्यापक के लिए-बच्चों से पूछा जा सकता है कि वे दूसरों से टॉयलेट साफ़ करवाने के बारे में क्या सोचते हैं। क्या वे ऐसी किसी जगह के बारे में जानते हैं, जहाँ आज भी ऐसा होता है।
नई-नई चीज़ें
मेरे छोटे बेटे मोन्टू की जब नौकरी लगी, तो वह दिल्ली जाकर बस गया। अब उसका पूरा परिवार दिल्ली में ही रहता है। मैं और सुमन कभी मोन्टू के पास दिल्ली में रहते हैं, तो कभी राजू के पास सोहना में। मैं सोहना से जब दिल्ली जाता हूँ, तो रास्ते में गुरुग्राम शहर पड़ता है। मेरे देखते-ही-देखते, इतने सालों में यहाँ कितनी सारी बड़ी-बड़ी इमारतें बन गई हैं और वे भी कितनी ऊँची-ऊँची!
कुछ साल पहले राजू ने दोबारा टॉयलेट बनवाया। उसने बाथरूम में रंगीन टाइलें भी लगवा लीं। नहाने की जगह पर फ़िज़ूल इतना पैसा खर्च किया।
मैं अब 70 वर्ष का हूँ। इतने सालों में मैंने अपने घर में ही कितने बदलाव देखे हैं। पता नहीं, मेंरे पोता-पोती बड़े होकर कहाँ रहना चाहेंगे और कैसा होगा उनका घर! पता नहीं, डेरा गाज़ीखान में अब कैसे मकान होंगे! मेरे सभी दोस्त भी कहाँ होंगे?
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तुम्हारा अपना मकान किन-किन चीज़ों से बना है?
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पता करो तुम्हारे दोस्त का मकान किन-किन चीज़ों से बना है? दोनों में क्या कोई अंतर है? लिखो।
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तुम्हारे अनुसार चेतनदास जी के पोता-पोती बड़े होकर कैसे मकान में रहेंगे?
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तुम बड़े होकर कहाँ और कैसे मकान में रहना पसंद करोगे?
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तुमने अपने दादा-दादी या उनकी उम्र के किसी बड़े व्यक्ति के बचपन के समय मकान बनाने में इस्तेमाल हुई चीज़ें लिखी थीं। क्या उनमें से कुछ चीज़ें तुम्हारा घर बनाने में भी इस्तेमाल हुईं हैं? कौन-कौन सी?
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चित्र को देखो। इनमें से कुछ लोगों को इनके काम के अनुसार खास नाम से बुलाया जाता है, जैसे-लकड़ी का काम करने वाले को बढ़ई कहते हैं।
- तुम्हारे यहाँ लकड़ी का काम करने वालों को क्या कहते हैं?
चित्र को देखकर तालिका में लिखो, लोग क्या-क्या काम कर रहे हैं? वे किन-किन औज़ारों का इस्तेमाल कर रहे हैं?
काम | औज़ार | किस नाम से बुलाया जाता है? |
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क्या तुम अपने आस-पास ऐसे लोगों को जानते हो, जो ऐसे कामों से जुड़े हैं? उनसे बात करके उनके काम के बारे में जानो। इसके बारे में अपने दोस्तों से चर्चा करो।
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अपनी अध्यापिका या घर वालों के साथ, किसी ऐसी जगह जाओ, जहाँ कोई बिल्डिग बन रही हो। वहाँ काम कर रहे लोगों से बात करो और इन प्रश्नों के उत्तर पता करके लिखो-
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वहाँ क्या बन रहा है?
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वहाँ कितने लोग काम कर रहे हैं?
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वे क्या-क्या काम कर रहे हैं?
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वहाँ कितनी औरतें और कितने आदमी हैं?
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अध्यापक के लिए-तुम्हारे स्कूल के आस-पास यदि कोई इमारत या मकान बन रहा हो, तो वहाँ बच्चों को ले जाया जा सकता है। वहाँ पर काम करने वाले लोगों से बातचीत भी करवाइए।
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क्या वहाँ बच्चे भी थे? क्या वे भी काम कर रहे हैं?
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काम कर रहे लोगों को रोज़ के कितने रुपये मिलते हैं? किन्हीं तीन लोगों से पूछो।
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काम कर रहे लोग कहाँ रहते हैं?
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जो बिल्डिग बन रही है, उसे बनाने में क्या-क्या चीज़ें इस्तेमाल हो रही हैं?
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पूरी बिल्डिग बनने में अंदाज़ से कितने ट्रक ईंटें और कितनी सीमेंट की बोरियाँ लगेंगी?
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बिल्डिंग बनाने का सामान किन-किन वाहनों में भरकर आता है-ट्रक, रेहड़ी या किसी और तरह? सूची बनाओ।
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इनकी कीमत पता करो-
एक बोरी सीमेंट ___________
एक पक्की ईंट ___________
एक बड़ा ट्रक रेत ___________
अध्यापक के लिए-अगर हो सके, तो जहाँ इमारत बन रही है, वहाँ बच्चों को ले जाएँ या वहाँ काम कर रहे कुछ लोगों को अपने स्कूल में बुलाएँ। उनके काम और औज़ारों के बारे में उनसे बातचीत करें।
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अपनी मर्ज़ी से कुछ और प्रश्न पूछकर उनके उत्तर लिखो।
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साठ सालों में चेतनदास का मकान बनाने में जिन-जिन चीज़ों का इस्तेमाल हुआ, उन्हें सही क्रम से लिखो-
आओ घर बनाएँ
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कक्षा के बच्चे 3-4 समूह में बँट जाएँ। हर समूह अलग-अलग तरह के मकान का मॉडल बनाएं। तुम इन चीज़ों का इस्तेमाल कर सकते हो-मिट्टी, लकड़ी, कपड़ों के टुकड़े, जूते के डिब्बे, रंगीन कागज़, माचिस की डिब्बी और रंग।
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सभी घरों को एक साथ रख कर एक बस्ती बनाओ।