पाठ 11 फुलिवारी
उत्तराखंड में पहाड़ों के बीच में एक ऐसी ही जगह है, जहाँ फूल-ही-फूल होते हैं। यह ‘फूलों की घाटी’ कहलाती है। कहीं झाड़ियों में लगे लाल फूल नज़र आते हैं, तो कहीं पत्थरों के बीच, सफ़ेद फूल झाँकते हुए मिलते हैं। पीले-पीले फूलों के लंबे-चौड़े कालीन जैसे मैदान भी हैं। और कहीं-कहीं अचानक घास के बीच छोटे-छोटे तारों जैसे नीले फूल दिखाई देते हैं। यह सब सपने जैसा लगता है न? हाँ, इस घाटी में भी इतने सारे फूल साल में कुछ ही हफ़्तों के लिए खिलते हैं।
आँखें बंद करके कल्पना करो कि तुम भी ऐसी ही किसी जगह पर पहुँच गए हो। कैसा लगा? कौन-कौन सा गाना गाने का दिल चाह रहा है? तुम उनमें से कुछ गाकर सुनाओ।
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क्या तुमने कहीं बहुत सारे फूल लगे देखे हैं? कहाँ?
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तुमने कितने रंगों के फूल देखे हैं? उनके रंगों के नाम लिखो।
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किस-किस रंग के फूल देखे हैं? गिनती ही करते रह गए न?
क्या तुम्हारे घर में कुछ ऐसी चीज़ें हैं, जिनपर फूलों के डिज़ाइन बने हों, जैसेकपड़े, चादर, फूलदान आदि?
- नीचे एक खाने में एक सुंदर-सा डिज़ाइन बना है।
यहाँ दिखाए गए डिज़ाइन को ‘मधुबनी’ कहते हैं। यह चित्रकला बहुत पुरानी है। पता है इस चित्रकला का नाम मधुबनी क्यों पड़ा? बिहार में मधुबनी नाम का एक ज़िला है। त्योहारों और खुशी के मौकों पर वहाँ घर की दीवारों पर और आँगन में इस तरह के चित्र बनाए जाते हैं। यह चित्र पीसे हुए चावल के घोल में रंग मिलाकर बनाए जाते हैं। ये रंग भी खास तरह के होते हैं। इन्हें बनाने के लिए नील, हल्दी, फूल-पेड़ों के रंग आदि को इस्तेमाल में लाया जाता है। चित्रों में इंसान, जानवर, पेड़, फूल, पंछी, मछलियाँ और अन्य कई जीव-जंतु साथ में बनाए जाते हैं।
अपने-आप कोई डिज़ाइन बनाकर रंग भरो।
- अपने दोस्तों के बनाए डिज़ाइन भी देखो।
अध्यापक के लिए-बच्चों को नक्शे में उत्तराखंड ढूँढ़ने के लिए प्रेरित करें।
फूलों की दुणिया
तुम नीचे दिए गए फूलों में से जिनको पहचानते हो, उन पर $(\checkmark)$ निशान लगाओ। अगर पता हो, तो उनके नाम चित्र के नीचे लिखो।
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ऊपर दिए गए फूलों में से और जिन फूलों को तुम जानते हो, उनमें से दो फूलों के नाम बताओ जो-
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पेड़ों पर लगते हैं __________________________
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झाड़ियों पर लगते हैं __________________________
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बेल पर लगते हैं __________________________
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पानी के पौधों पर उगते हैं __________________________
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सिर्फ़ रात में खिलते हैं __________________________
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दिन में खिलते हैं, रात में __________________________
बंद हो जाते हैं
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जिनको तुम आँखें बंद करके __________________________
भी खुशबू से पहचान सकते हो
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जो किसी खास महीने में __________________________
ही लगते हैं
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जो साल भर खिलते हैं __________________________
क्या ऐसे पेड़-पौधे भी हैं, जिन पर फूल कभी नहों आते। पता करके लिखो।
यह क्यों ?
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क्या तुमने इस तरह की तख्ती कहीं लगी देखी है?
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क्या तख्ती लगी होने के बाद भी लोग फूल तोड़ लेते हैं?
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तुम्हें क्या लगता है, वे ऐसा क्यों करते हैं?
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क्या उन्हें ऐसा करना चाहिए?
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अगर सब लोग ऐसा करने लगें, तो क्या होगा?
चलो पास के देखें
जो बच्चे फूल ला सकते हैं, वे कक्षा में एक-दो फूल लाएँ। ध्यान रहे कि पेड़-पौधों से गिरे हुए फूल ही इकट्ठे करने हैं। तोड़ने नहीं हैं। तीन-चार बच्चों के समूह बनाओ और किसी एक फूल को ध्यान से देखो और लिखो-
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फूल किस रंग का है?
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इसकी खुशबू कैसी है?
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आकार कैसा है? घंटी जैसा, कटोरी जैसा, ब्रुश जैसा या कुछ और?
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क्या ये फूल गुच्छे में हैं?
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इसकी पँखुड़ियाँ कितनी हैं?
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पँखुड़ियाँ आपस में जुड़ी हैं या अलग-अलग हैं?
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पँखुड़ियों के बाहर क्या तुम्हें हरी पत्ती जैसा कुछ नज़र आ रहा है? ये कितने हैं?
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पँखुड़ियों के अंदर, बीच में क्या कुछ पतली सी चीज़ें दिखाई दे रही हैं? ये किस रंग की हैं?
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उनको छूने से क्या कुछ पाउडर जैसा हाथ में लग रहा है?
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रिवलती कलियाँ!
तुमने कलियाँ भी देखी होंगी। अगर स्कूल में या घर के आस-पास कहीं फूल के पौधे हों, तो उनकी कलियाँ भी देखो।
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कली और फूल में क्या-क्या अंतर है?
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किसी पौधे की कली एवं उसके फूल का चित्र अपनी कॉपी में बनाओ।
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क्या तुम बता सकते हो कि एक कली कितने दिनों में खिलकर फूल बनती होगी? चलो जानने की कोशिश करें।
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किसी एक पौधे पर लगी कली चुनो और उसे रोज़ देखो। उस पौधे का नाम भी लिखो।
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जब तुमने कली देखी, तो तारीख ________ थी और वह कली जब फूल बनी तो तारीख थी ________ । कली को फूल बनने में कितने दिन लगे?
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अपने दोस्तों से पूछो, उन्होंने कौन-कौन से फूल देखे? उनकी कलियों को फूल बनने में कितना समय लगा?
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तुम यह भी देख सकते हो कि वह फूल कितने दिनों में मुरझाया?
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इतने आवे इस्तेमाल!
खाए भी जाते हैं फूल!
तुमने फूलों का कहाँ-कहाँ इस्तेमाल देखा है? क्या तुम जानते हो फूल खाए भी जाते हैं? बहुत से फूलों की सब्ज़ी बनती है।
उत्तर प्रदेश में रहने वाली फिरोज़ा और नीलिमा को कचनार के फूलों की सब्ज़ी बहुत पसंद है।
केरल की यामिनी अपनी अम्मा से केले के फूलों की सब्ज़ी बनाने की फ़रमाइश करती है।
महाराष्ट्र की ममता और ओमर को सहजन के फूलों के पकौड़े बहुत पसंद हैं।
- क्या तुम्हारे घर में भी किसी फूल की सूखी सब्ज़ी, सालन (तरीदार सब्ज़ी) या चटनी बनाई जाती है? पता करो, कौन-से फूलों की?
दवाई में भी!
बहुत-सी दवाइयों में भी फूलों का इस्तेमाल होता है।
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किन्हों दो फूलों के नाम पता करो, जो दवाइयों में इस्तेमाल होते हैं?
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तुम्हरो यहाँ गुलाब जल कहाँ-कहाँ इस्तेमाल होता है? दवाई में, मिठाइयों में, लस्सी में या कहीं और? पता करो और कक्षा में एक-दूसरे को बताओ।
खुशबू और रंग
बहुत-से फूलों, जैसे-गुलदावरी, ज़ीनिया से रंग भी बनाए जाते हैं। उन रंगों से कपड़े भी रंगे जाते हैं।
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तुम ऐसे और फूलों के नाम पता करो, जिनसे रंग बनता है।
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क्या तुम ऐसा कोई रंग सोच सकते हो, जिस रंग का कोई फूल ही न होता हो?
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ऐसे कुछ फूलों के नाम लिखो, जिनसे तुम्हें लगता है इत्र बनाया जाता होगा।
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तुमने दादी-माँ के कुछ नुस्खों के बारे में तो सुना होगा, जिनमें फूलों का इस्तेमाल होता है। यहाँ पर एक नुस्खा दिया है, जिसमें गुलाब जल का इस्तेमाल किया गया है।
दादी माँ का नुस्खा
गुलाब जल और ग्लिसरीन बराबर मात्रा में मिलाकर शीशी में भर लो। इसमें कुछ बूँदें नींबू की डालो। इसके इस्तेमाल से सर्दी में त्वचा नहीं फटती।
क्या तुमने कभी इत्र की शीशी खुलने पर उसकी खुशबू का मज़ा लिया है। क्या तुम जानते हो - इत्र की एक छोटी-सी शीशी भी बहुत सारे फूलों से बनती है।
उत्तर प्रदेश का कन्नौज ज़िला इत्र के लिए मशहूर है। यहाँ पर पास के इलाकों से ट्रकों में भर कर फूल लाए जाते हैं। फिर उनसे इत्र, गुलाब जल और केवड़ा तैयार किया जाता है। कन्नौज में इस काम में हज़ारों लोग लगे हुए हैं।
अध्यापक के लिए-बच्चों को नक्शे में उत्तर प्रदेश, केरल और महाराष्ट्र ढूँढ़ने को कहें। बच्चों को बताएँ कि इत्र फूलों का शुद्ध अर्क होता है।
और कहाँ-कहाँ इस्तेमाल
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क्या तुमने कभी फूलों पर कोई गीत पढ़ा या सुना है? इस गीत को गाओ।
“अच्छी मालन, मेरे बनने का बना ला सेहरा,
बागे जन्नत गई मालन मेरी फूलों के लिए,
फूल न मिलें तो कलियों का बना ला सेहरा।”
बताओ
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क्या तुम बता सकते हो कि ऊपर दिया गया गीत कब गाया जाता होगा?
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क्या तुम्हें या घर में किसी और को ऐसे गीत आते हैं?
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फूलों के बारे में गीत, कविता आदि इकट्ठी करो। उनको कागज़ पर लिखकर कक्षा में लगाओ।
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कुछ त्योहारों अथवा अवसरों पर क्या तुम्हारे घर के बड़े कोई खास तरह के फूल इस्तेमाल करते हैं? पता करो और तालिका में लिखो।
त्योहार/अवसर | खास फूल का नाम |
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अध्यापक के लिए-बन्ना-दूल्हा। बच्चों से पूछें कि उनके इलाके में ‘बन्ने’ को क्या कहते हैं?
हाँ भई! अगर इतने सारे इस्तेमाल होंगे, तो बहुत सारे फूल भी तो चाहिए। बहुत जगह फूलों की खेती होती है। मीलों तक फैले हुए फूलों के खेत। सोचो, कितने सुंदर लगते होंगे!
कुछ और जानें
क्या तुमने कहीं पर किसी को फूल बेचते देखा है? यदि तुम्हारे आस-पास कहीं कुछ लोग फूल बेचते हैं, तो उनसे ये सवाल पूछो और लिखो-
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वे कौन-कौन से फूल बेचते हैं? उनमें से तीन फूलों के नाम पूछकर लिखो।
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वे ये फूल कहाँ से लाते हैं?
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लोग किस-किस काम के लिए फूल खरीदते हैं?
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@ वे फूल किस-किस तरह से बेचते हैं? नीचे उन पर निशान लगाओ।
और किस तरह से
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क्या तुमने धार्मिक स्थलों पर फूलों की भेंट करते हुए देखा है?
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सूखने पर हम उनका क्या करते हैं?
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तुम इन्हें कैसे इस्तेमाल करोगे?
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कुछ फूलों का अलग-अलग तरह से इस्तेमाल होता है, जैसे-गेंदा और गुलाब के फूल, खुले और माला दोनों ही तरह से इस्तेमाल होते हैं।
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अलग-अलग रूपों में फूलों के दाम पता करो और लिखो।
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एक माला _________________________
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एक गुलदस्ता _________________________
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एक फूल _________________________
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क्या इन फूल बेचने वालों ने गुलदस्ता या फूलों की चादर बनाना किसी से सीखा है ? किससे?
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क्या वे चाहेंगे कि उनके परिवार के और लोग भी यह काम करें? क्यों?
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चलो यह करें
तुम पाँच या छह के समूह में बँटकर यह कर सकते हो।
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पेड़-पौधों से गिरे हुए फूलों को इकट्ठा करो और क्लास में लाओ।
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इन फूलों को पुराने अखबार के पन्नों के बीच में ठीक से फैला कर रखो।
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हर परत में फूल इस तरह रखना कि एक-दूसरे से चिपके नहीं।
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अब इस अखबार को किसी भारी चीज़ से दबा कर दस-पंद्रह दिन के लिए एक ही जगह रखा रहने दो।
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इसके बाद फूलों को ध्यान से निकालो और किसी पुरानी कॉपी या पुराने अखबार में चिपकाओ। इन फूलों को पन्नों पर अलग-अलग तरीके से चिपकाया जा सकता है।
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तुम इन सूखे हुए फूलों से सुंदर कार्ड भी बना सकते हो।
अपने मनपंसद फूल का चित्र बनाओ और नीचे फूल का नाम लिखो :
अध्यापक के लिए-बच्चों को नज़दीक से फूलों को देखने के लिए प्रेरित करें। फूलों को अलग-अलग गुणों, जैसे-रंग, पत्तियाँ, गुच्छेदार या खुले, इत्यादि के आधार पर समूहीकरण करने में मदद करें।