मानव शरीर क्रिया विज्ञान: उत्सर्जन पदार्थ और उनका संक्षेपण विषय

मानव शारीरिक श्वसनतंत्र के मध्योन्नत उत्पाद एवं उनके निकालने पर ध्यान देने योग्य अवधारणाएं

  • नालिका का निर्माण

  • मूत्रनालिका: रक्त की प्राकृतिक प्रक्रिया में शामिल होने वाली किडनी की बाहरीमोसा परत।

  • मूत्रकर्तरदौर: उन्नत मद्दों की आगे की प्रक्रिया का स्थान है जहां छानने का कार्य होता है।

  • मूत्रस्रोत: मूत्रनालिका द्वारा मूत्र को मूत्रयाग्नि द्वारा इकट्ठा किए जाने का धारा-निर्देशित आकार-पत्र।

  • मूत्रनाली: मूत्रस्रोत से मूत्रस्रोत को ले जाने वाला नलिका।

  • मूत्राधार: मूत्र को उच्चरण के दौरान जरा कार्य करने तक संग्रहीत करने वाला स्नायुमय अंग।।

  • मूत्रधारा: मूत्राधारा, जहां से मूत्र को उच्चरित करने के लिए आवाजात किया जाता है।

  • किडनी के कार्य:


  • रक्त का छानना: ग्लोमेरुलस में, किडनी अतिरिक्त पानी, आयन, छोटे रसायन, और अपशिष्ट पदार्थों को रक्तस्रोत से छानती है, जिससे एक छान्नत पदार्थ का निर्माण होता है जो मूत्रनाली में द्वारा प्रवेश करता है।

  • पानी, ग्लूकोज, अमीनो एसिड्स और अन्य आवश्यक पदार्थों की छान: मूत्रनाली द्वारा गुजरते समय, आवश्यक पदार्थ जैसे ग्लूकोज, अमीनो एसिड्स, और अधिकांश छाने गए पानी को फिर से रक्तस्रोत में सुखाने की क्षमता वापस ले जाएं गई।

  • कचरे के उत्पाद का छोड़ना: मूत्रनाली विशेष रूप से ट्यूबुलर छानन करती है, जहां कुछ कचरे के उत्पाद (जैसे कीटिन, स्फीग्निन, यूरिक एसिड, और दवाएँ) को ज्ञापना किया जाता है, हवाले से ट्यूबुलर मेंडी से उठाकर छानते हैं।

  • मूत्र का निर्माण: मूत्र निर्माण में तीन प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं:

  • ग्लोमेरुलर छानन: छानने के लिए रक्त छाने का पहला कदम।

  • ट्यूबुलर सुखाना: आवश्यक पदार्थों को विशेष रूप से छानने के लिए पुनः रक्तस्रोत में सुखाने की प्रक्रिया।

  • ट्यूबुलर ज्ञापन: कचरे के उत्पादों को नसों से ट्यूब में सक्रिय रूप से स्थानांतरित करने की प्रक्रिया।

  • मूत्र निकासी का नियंत्रण:


  • एंटीडायुरेटिक हार्मोन (एडीएच): एडीएच, जिसे वासोप्रेसिन भी कहा जाता है, मूत्र्राधारा में पानी के सुखाने का नियंत्रण करता है, जो मूत्र की प्रतिमान और मात्रा को प्रभावित करता है।

  • आल्डोस्टेरोन: आल्डोस्टेरोन एक हार्मोन है जो एड्रेनल कोर्टिक्स द्वारा उत्पन्न किया जाता है जो मूत्र्राधारा में नात्रियम का सुखाने और पोटेशियम के स्राव का निपातन करता है, जो पदार्थों के संतुलन और रक्त मात्रा प्रभावित करता है।

  • मूत्राशयरोधन:


  • मूत्राशयरोधन का स्वच्छंद नियंत्रण: जब मूत्ररोधनाशय एक निश्चित स्तर तक पूर्णता हो जाता है, तो मूत्राशय स्वचंदता उत्पन्न होती है। स्वेच्छा नियंत्रण हमें योग्य समय और स्थान पर मूत्राशयस्थान को आस्थिर करने या प्रारंभ करने की सुविधा प्रदान करता है।

  • अस्वेच्छित मूत्राशयरोधन का नियंत्रण: अस्वेच्छित मूत्ररोधन एक जटिल स्नायुमय पथ है, जिसमें कम्पाप्रद नसों और मस्तिष्क संलग्न कार्यक्षेत्र शामिल होता है।

  • मूत्राशयरोधन में संलग्न प्रतिक्रियाएं:


  • स्ट्रेच रिफ्लेक्स: जब पेशाब बढ़ता है, तो इसका विस्तार होता है, जो पेशाब के संक्रमण को शुरू करने वाले स्ट्रेच रिफ्लेक्स को त्रिगुणित करता है और मूत्राशय की संकुचन और मूत्रनाली यूरिथ्रल स्फिंक्टर की आराम करता है, जो मूत्राशय से पेशाब करने का कारण बनता है।

  • स्वेच्छिक रिफ्लेक्स: मस्तिष्क में उच्च केंद्र, मुख्य रूप से सीरीब्रल कॉर्टेक्स, द्वारा पेशाब को स्वेच्छापूर्ण ढंग से नियंत्रित कर सकते हैं, मिथायनिराकारण या मिथानिर्माणक रिफ्लेक्स के माध्यम से।

  • मूत्रत्याग की विकार:

  • किडनी स्टोन्स: किडनी में बनने वाले खनिज और लवणों के कठोर ठोस ठोस टुकड़े, जो मूत्रपथ के माध्यम से गुजरते समय तीव्र दर्द का कारण बन सकते हैं।

  • मूत्रप्रवाह पथों में संक्रमण (यूटीआईएस): जीवाणु या अन्य माइक्रोआर्गेनिज्मों द्वारा होने वाले संक्रमण, मूत्रप्रणाली के किसी भी भाग में, सहित किडनी, मूत्राशय, और मूत्रनली।

  • किडनी की असफलता: एक स्थिति जहाँ किडनी अपनी प्रभावीता खो देती है, जिसके परिणामस्वरूप कोषिकाओं और तत्वावधानता की बढ़ती संग्रह, इलेक्ट्रोलाइट स्तर का असंतुलन, और शरीर में तरलता का आवर्धन होता है।

  • डायबिटीज़ इंसिपिडस: एक विकार जिसमें किडनी संकेंद्रित मूत्र निर्माण करने की अक्षमता के कारण, जो कमजोर उत्पादन या एंटीडायरेटिक हार्मोन (एडीएच) के प्रदर्शन की कमी के कारण पेशाब की अत्यधिक निकासी और अवजलीकरण से प्रतिबंधित होगी।

  • डायबिटीज मेलिटस: एक दीर्घकालिक पाचनशक्ति विकार जो मुख्य रूप से कमजोर प्रोडक्शन या प्रतिरोध के कारण बढ़ी हुई रक्त ग्लूकोज़ स्तर के आघात की वजह से होता है, जो किडनी कार्य को प्रभावित कर सकता है और समय के साथ किडनी को क्षति पहुंचा सकता है।



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