Biology Sexual Reproduction In Plants

फूल के भाग

एक फूल एक सुंदर और जटिल संरचना है जो पौधों के प्रजनन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसमें कई आवश्यक भाग होते हैं, प्रत्येक भाग की अपनी विशेष कार्यप्रणाली के साथ। चलिए फूल के प्रमुख भागों की खोज करें:

1. पंख
  • पंख उन रंगीन और अक्सर सुगंधित पत्तों को कहते हैं जो फूल में प्रजनन के अंगों को घेरती हैं।
  • इनके कई कार्य होते हैं:
    • उनके चमकदार रंग और मधुर सुगंध से उद्भावक जैसे कीट और पक्षीयों को आकर्षित करना।
    • फूल के आंतरिक प्रजनन अंगों को क्षति से बचाना।
    • परम्परगत बीजनी क्रिया में खुदाई के लिए एक उचित रहने वाला स्थान प्रदान करके प्रसारण में मदद करना।
2. कलियां
  • कलियां फूल के बुड़बुद के परिधिपमा स्थित होने वाले पत्ते जैसी संरचनाएं होती हैं।
  • इन्हें फूल के निवासित होने से पहले विकसित होने बाला फूल का बुड़बुद संरक्षित करती हैं।
  • कलियां सामान्यतया हरी होती हैं और पंखों की तुलना में कम भव्य होती हैं।
3. प्रांग
  • प्रांग फूल का पुरुष प्रजनन अंग होता है।
  • इसमें दो मुख्य भाग होते हैं:
    • अंथेर: अंथेर प्रांग के शीर्ष पर एक बोर प्रकार की संरचना होती है। इसमें पराग अंडकोषों को उत्पन्न और रिलीज़ करता है।
    • तंतु: तंतु एक सूक्ष्म स्तंभ होती है जो अंथेर का समर्थन करती है और उसे उचित पराग विस्तार के लिए स्थानांतरित करती है।
4. कलश
  • कलश फूल का स्त्री जनन अंग होता है।
  • इसमें कई भाग होते हैं:
    • स्टिग्मा: स्टिग्मा चोटी का हिस्सा होता है। यह बीजांकन के दौरान पराग अंडकोष पकड़ता है।
    • स्टाइल: स्टाइल एक लंबा नलकीय संरचना होती है जो स्टिग्मा को अंडकोष से जोड़ती है।
    • अंडकोष: अंडकोष कलश की फूल का अधिशोधक निगाह होता है। इसमें एक या अधिक अंडकोष होते हैं, जो उपबीज उत्पन्न कर सकते हैं।
5. उपबीज
  • उपबीज अंडकोषों में स्थित संरचनाएं हैं जो बीजों में विकसित होने की संभावना रखती हैं।
  • प्रत्येक उपबीज में एक अंडकोष होता है, जिसे एक पराग अंडमा से प्राेर्जीत स्पर्म कोशिका द्वारा शुक्र कोशिका के रूप में परागित किया जा सकता है।
6. स्वागत पाट
  • स्वागत पाट वह आधार या मंच होता है जिस पर सभी अन्य फूल के अंग संलग्न होते हैं।
  • यह संजीवनी और प्रजनन संरचनाओं के लिए सहारा और संरक्षण प्रदान करता है।
7. तांतरिका
  • तांतरिका एक जड़ होती है जो फूल को पौधे की डंठ के साथ जोड़ती है।
  • यह समर्थन प्रदान करती है और फूल को स्वतंत्र रूप से आंगने देती है, सफल परागनन की संभावना को बढ़ाती है।
8. फूलों की संयोजना
  • फूलों की संयोजना पौधे पर फूलों के एक समूह या व्यवस्था होती है।
  • इसमें स्पाइक्स, रेसीम, पैनीकल्स और साइम्स जैसे विभिन्न प्रकार होते हैं, प्रत्येक की अपनी विशिष्ट संरचना होती है।

फूल के विभिन्न भागों की समझ कर पौधों में परागनन और प्रजनन की प्रक्रिया को समझना महत्वपूर्ण है। प्रत्येक भाग पौध जातियों के सत्त्वाधान और प्रसारण को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

पूर्व उपयोगी दृश्य और संरचनाएं

पूर्व उत्पोषण घटनाएं और संरचनाएं पुरुष और महिला जीवाणुओं (लिंग कोशिकाएं) की परिक्रिया और संरचनाओं को तैयार करने में शामिल होती हैं। इन घटनाओं का समापन तब होता है जब स्पर्म और अंडा मिलकर एक नए व्यक्ति का विकास करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

पुरुष पूर्व उत्पोषण घटनाएं और संरचनाएं

स्पर्मजनन

स्पर्मजनन पुरुषों में स्पर्म का उत्पादन की प्रक्रिया है। यह होता है अंडकोष के शुक्राणुतुबीयों में और कई चरणों में सम्पन्न होता है:

  • स्पर्माटोगोनिया: ये अपरिपक्व प्रजनन कोशिकाएँ हैं जो प्राथमिक स्पर्माटोसाइट उत्पन्न करने के लिए मिटोसिस करती हैं।
  • प्राथमिक स्पर्माटोसाइट: ये कोशिकाएँ द्वितीय मीयोटिक विभाजन से गुजरती हैं जिससे द्वितीय स्पर्माटोसाइट बनता है।
  • द्वितीय स्पर्माटोसाइट: ये कोशिकाएँ द्वितीय मीयोटिक विभाजन से गुजरती हैं जिससे स्पर्माटिड्स उत्पन्न होते हैं।
  • स्पर्माटिड्स: ये कोशिकाएँ पकावत, पंख और अतिरिक्त साइटोप्लास्म के छलने जैसे समेत परिपक्व स्पर्माटोसाइट्स बनने का विकास करती हैं।

इपिडिडिमल परिपक्वता

अपने अंडकोषों से छूटने के बाद, स्पर्माटों को वास नलिका को जोड़ने वाली एक लंबी, सरपटटी ट्यूब, इपिडिडिमिस तक यात्रा करते हैं। इपिडिडिमिस के माध्यम से गुजरते हुए, स्पर्माटों को तत्परता, जो उर्वक के दौरान अंडे तक पहुंचने के लिए आवश्यक है, व उसे खादने की क्षमता, जिससे स्पर्माटों को अंडे में प्रवेश करने और उसे प्राकृतिक पनभरने की क्षमता होती हैं।

महिला पूर्व उत्पोषण घटनाएं और संरचनाएं

अंडकोषरण

अंडकोषरण महिलाओं में अंडे का निर्माणक्रिया है। यह प्रायः मशीनों में होता है और कई चरणों में सम्पन्न होता है:

  • अंडबीज: ये अपरिपक्व प्रजनन कोशिकाएँ हैं जो प्राथमिक गर्भनालीयों और पोलर बॉडीज़ उत्पन्न करने के लिए मिटोसिस करती हैं।
  • प्राथमिक गर्भनालीयों: ये कोशिकाएँ प्रथम मीयोटिक विभाजन से गुजरती हैं जिससे द्वितीय गर्भनालीयों और पोलर बॉडीज़ उत्पन्न होते हैं।
  • द्वितीय गर्भनालीयों: ये कोशिकाएँ द्वितीय मीयोटिक विभाजन से गुजरती हैं जिससे एक अंडा और पोलर बॉडीज़ उत्पन्न होते हैं।

अंडाशय से छूटना

अंडाशय से परिपक्व अंडा विमुक्त होने की प्रक्रिया है। यह जब फॉलिकल, जो अंडे को घेरने वाली एक बोरी की तरह की संरचना होती है, फट जाती है और अंडाशय से अंडा बागले ट्यूब में छोड़ देती है।

मासिक धर्म चक्र

मासिक धर्म चक्र रासचक्रियाओं की एक श्रृंखला है जो संभावित परिणामस्वरूप पनभराई और गर्भावस्था के लिए महिला प्रजनन प्रणाली में होने वाले परिवर्तनों को शामिल करती है। इसमें अंडाशय से एक अंडा के बाहरी क्षेत्र में छूटना, गर्भनाली के उतेजन, व गर्भनाली के उतेजन में गठित रखना यदि उसे पनभराई नहीं होती है, शामिल होता है।

निष्कर्ष

पूर्व उत्पोषण घटनाएं और संरचनाएं अंडा द्वारा स्पर्म द्वारा सफलतापूर्वक पनभराई के लिए आवश्यक होती हैं। इन घटनाओं और संरचनाओं से सुनिश्चित होता है कि जीवाणु परिपक्व होते हैं और पनभराई क्षमता होती है, और इन्हीं से पनभराई करने के लिए आवश्यक वातावरण भी प्रदान किया जाता है।

पकित गंधक

पर्यावरणीय अध्ययन, वनस्पति विज्ञान, फूल विज्ञान, पोलिनेशन विज्ञान, औद्योगिक महत्व, उच्चाधिकारिकजनों के पर्यावरणीय असरों की जाँच और एनटीपोलिन वैज्ञानिकों के लिए पर्यावरणीय मिजाज।

पृष्ठभूमि व्याप्ति:

1.कणप्रोनसजन: यह अंडकों के संतानों के भीतर कण गठन की प्रक्रिया है। इसे कणिका कोशिकाओं के स्पेशेलाइज्ड रूप में तथा हेल्फाईड वंशाल कणों की गठन के लिए शुरू किया जाता है जो हैपलॉइड माइक्रोस्पोर्स उत्पन्न करती हैं।

2.माजगातविक प्रोनसजन: प्रत्येक माइक्रोस्पोर में मिटोसिस के माध्यम से कणिका धान उत्पन्न करता है, जिसमें दो कोशिकाएं होती हैं: जीनरेटिव कोशिका और ट्यूब कोशिका। जीनरेटिव कोशिका खून की कोशिकाएं उत्पन्न करने के जिम्मेदार होती हैं, जबकि ट्यूब कोशिका धान-यानी ट्यूब का विकास होता है, जो प्रजनन अंगों में रूपांतरण को सुविधाजनक बनाता है।

3.प्राक करण: पक्के कण बिंदुओं से छूड़ाए जाते हैं और विभिन्न माध्यमों द्वारा प्रसारित किए जाते हैं। जब कण किसी संगत फूल के भ्रमण पर लंड करता है, तो यहंकर उगम करता है और कणों का ट्यूब बीजांग ध्यान तक विकसित होवगे एवं छोटी बिंदुओं और मेंस में आगे बढ़ जाता है।

परिपक्व कण की संरचना

परिपक्व कणों में विभिन्न संरचनाओं की विविधता दिखाई देती है, जो पोलिनेशन के विभिन्न तरीकों के लिए अनुकूलन की गई है। हालांकि, उनमें कुछ सामान्य विशेषताएं होती हैं:

1.एक्साइन: कणिका की बाह्य परत को एक्साइन कहा जाता है। यह स्पोरोपोलिनिन से मिले हुए एक कठोर तथा टिकाऊ सामग्री से बना होता है जो कण को कठिन पर्यावरणीय स्थितियों से संरक्षित करता है। एक्साइन अक्सर जटिल नक्काबंदियों और अलंकरण का प्रदर्शन करता है, जो कणों की पहचान और प्रसारण में सहायता करते हैं।

2.इनटीन: कणिका की अंतर्भूत परत को इंटिन कहा जाता है। यह सेलुलोज़ और पैक्टिन से बनी होती है और कणिका की परिपक्वता और शुक्राणु के मुक्त करने के लिए जिम्मेदार होती है।

3.प्रवेश द्वार: कणलों में विशेषित खुलाएं होती हैं जिन्हें प्रवेश द्वार कहा जाता है, जो उगमन के दौरान कण के ट्यूब से उभरने की अनुमति देती हैं। प्रवेश द्वार छिद्र, Kinara, या दरारें हो सकती हैं और पोलिन प्रकार के आधार पर संख्या और स्थान में बदल सकती हैं।

कण की संभावना और दीर्घावधि

कण की संभावना किसी भीक्ष और बीजांग के उत्पन्न करने की क्षमता को संदर्भित करती है। परिपक्व कणों की संभावना विभिन्न कारकों पर प्रभावित होती है, जिनमें पौधे के प्रजातियों, पर्यावरणीय स्थितियों, और भंडारण पद्धतियाँ शामिल होती हैं। कुछ कण कुछ घंटों के लिए केवल संभव रह सकते हैं, जबकि दूसरे उचित माहौली स्थितियों में कई सालों तक जीवित रह सकते हैं।

कण की पारिस्थितिकी महत्त्व

कण फूलों के प्रजनन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और जैव विविधता के संरक्षण में योगदान करते हैं। यह विभिन्न पारिस्थितिकी अध्ययनों के लिए भी एक मूल्यवान संसाधन के रूप में काम आता है, जिनमें शामिल हैं:

  1. पर्यावरणशास्त्र: पर्यावरणशास्त्र में, जिसे प्रदुषणशास्त्र भी कहा जाता है, वायुमंडलीय गैसों, उत्पादों, और केमिकलों का पदार्थ के रूप में रख पाने, हवाएं साफ़ और सफेद करने के लिए और प्रदूषण पृथ्वी पर उनकी प्रभावित बाधा द्वारा होनेवाले दुष्प्रभाव की पहचान करने माध्यम से उत्पन्न होने की अध्ययनार्थ है।१९६० के दशक में, पर्यावरणशास्त्र, प्रदूषण नियंत्रण, वातावरण संरक्षण और एकीकृत पदार्थ प्रबंधन के पर्यावरणीय प्राथमिकतायों का समग्रतावादी परामर्शिका के रूप में सामरिक और विज्ञानी परामर्शन आंदोलन के साथ उभरा था।

२. नदी शोध: नदी शोध में, जल निपात, भूमि का प्रबंधन, नदी निपात, संपत्ति में बदलावों, जीवन्त जलमार्ग और जल प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं का पठन करने और नदी प्रबंधन में सुधार के प्रसार और ब्रांडरीज का पठन करने के लिए एक अध्ययनार्थ है। यह नदियों के प्रबंधन, जल संपदा, औद्योगिक प्रभाव, जल-तथा मैदानी क्षेत्र, आदिक के रूप में नदी-संबंधित विज्ञान में व्यापक पीख की प्रस्ताविती के बारे में अवगत कराता है।

३. मानव स्वास्थ्य: पर्यावरणक खतरे मानव स्वासथ्य पर अस्पष्ट दुष्प्रभावो का अध्ययनन मानव रोगों, औद्योगिक अप्रत्याशित कार्यक्रमो की जिन्दगी में दुष्प्रभाव, और एकत्रित पदार्थों में अवशिष्ट दुष्प्रभाव प्रबंधन उद्देश्यों के साथ औद्योगिक इमिशन के संहित सेवाओं(services) को अंशवान बनाने के लिए व्यापकक सेवाएं प्रदान करने प्रयास है।

निष्कर्ष

प्रदूषण मनुष्यों के वातावरणिक औद्योगिक, केमिकलिज़िक, औद्योगिक जलनिकासी, भविष्यत औद्योगिकी पदार्थों,औद्योगी यंत्रिकी,व्यावसायिक अपवाद,अपकर्षक मुद्रिकृति, उद्यानिकी और मानव खपत के साथ लोगों और धरती पर उत्पन्न होने वाले नकारात्मक दुष्प्रभाव के आधार पर है।।

Megasporogenesis

मेगा अंड पादार्थ से मेगास्पोरेज़ेस में, बीज संयोजन से मेगास्पोर अंड माता कक्ष (एमएमसी) में निर्माण की प्रक्रिया होती है। यह बीज पादार्थों में महिला जीवनवर्धक विकास की पहली अवस्था है।

Stages of Megasporogenesis

मेगास्पोरेज़ेसिस निम्नानुसार चरणों का समावेश करती है:

  1. मेगास्पोर माता कोशिका (एमएमसी) विभाजन: ओवुल की नशे में विशेषज्ञ कोशिका एमएमसी होती है। यह द्विजटल (2n) है और हाइब्रिडेशन (n) मेगास्पोरों का निर्माण करने के लिए मेयोजिशन करता है।

  2. मेयोजिशन: एमएमसी को मेयोजिशन I के लिए अनुभव करना पड़ता है, जो द्विजटल को उत्पन्न करने के लिए दो सरणी कोशिकाओं का निर्माण करता है। प्रत्येक दो सरणी कोशिका फिर मेयोजिशन II के लिए अनुभव करती है और चार हाइपोडाइस बनाती है।

  3. मेगास्पोर चयन: मेयोजिशन द्वारा उत्पन्न चार मेगास्पोरों में से केवल एक बचती है और कार्यात्मक मेगास्पोर में विकसित होती है। अन्य तीन मेगास्पोर विघटित हो जाते हैं।

Types of Megasporogenesis

मेगास्पोरेज़ेसिस के दो प्रकार होते हैं:

  1. एकस्पोरिक मेगास्पोरेज़ेसिस: एकाधिक के बजाय मेयोजिशन द्वारा उत्पन्न चार मेगास्पोरों में से केवल एक कार्यात्मक मेगास्पोर बचता है। अन्य तीन मेगास्पोर विघटित हो जाते हैं।

  2. द्विस्पोरिक मेगास्पोरेज़ेसिस: द्विस्पोरिक मेगास्पोरेज़ेसिस में, एक से अधिकें के स्थान पर मेयोजिशन द्वारा उत्पन्न चार मेगास्पोरों में से दो कार्यात्मक मेगास्पोर बचते हैं। अन्य दो मेगास्पोर विघटित हो जाते हैं।

Megasporogenesis का महत्व

मेगास्पोरेज़ेसिस बीज पादार्थों के लैंगिक जननप्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। यह मेगास्पोर उत्पन्न करता है, जो महिला जीवनवर्धक पेड़ों के निर्माण देते हैं। महिला जीवनवर्धक, उपरान्त उभरे ‘अंडा’ ऐग द्वारा पैदा करता है, जो औरती जीवनवर्धक से स्लेष्मी कोशिकाओं को (एनवायरनमेंटीहाईनिक्लॉनरेशन प्राणियों को विज्ञापयी,वसंगतिवर्धक बिज़नेसी लैंगिकय प्रणालियों द्वारा’) पैदा करता है। अंडा, उत्पन्न बीज़ के द्वारा औसतगत बिज़नेसी लैंगिकयो से आदितय प्रणाली, जिसे (प्राणिमात्र की मदद से स्वयंसाधीनी,क्यूरेलीसेल्फरीगनंतीनापोयगनापायगनित के प्रणाली से)’ गोल्बीनयता सामरूपी करती है। आदितय बिज़नेसी, स्वामित्व जिन्दगि के रूप में बदलता है, जो अंत में पेड़ों में उग जाती हैं।

परमाणुन का संकलन —-आजीवकायों में पुष्पणी किया जाता है। इसमें पुष्पणी महोत्सव की अष्टधा गिनती की जाती है।

परमाणुन की प्रकार

परमाणुन की दो प्रमुख प्रकार होती हैं:

  • स्वीय-पुष्पणी: इसमें पराग पुष्पित पुष्प से पुष्पप्रत की ओर पराग ले जाता है। स्वीय-पुष्पणी बहुत संस्पर्श औषधि में होती है, इसमें मटर, फलियां और टमाटर जैसी कई पेड़ों की स्वीय-पुष्पणी होती है।
  • संयुक्त-पुष्पणी: यह वह स्थिति है, जब एक पुष्प के पुष्पप्रत से दूसरे पुष्प में पराग ले जाता है। संयुक्त-पुष्पणी जैव वैविधता के लिए आवश्यक है, इसमें मकई, सूरजमुखी औषधि और गुलाब जैसे कई पेड़ों के संयुक्त-पुष्पणी होती है।
परमाणुन के एजन्ट

परमाणुन विभिन्न एजन्ट्स द्वारा किया जा सकता है, जिनमें शामिल हैं:

  • हवाओं की परमाणुन: हवा सबसे सामान्य परमाणुन एजेंट है। हवामुक्त पुष्प आमतौर पर छोटे और अदृश्य होते हैं, जिनमें महास्थानों की अपार संख्या और पराग की अपार मात्रा होती है।
  • कीट: कीट भी परमाणुन के महत्वपूर्ण एजेंट्स हैं। कीट पराग, पराग या सुगंध के कारण फूलों की आकर्षण करते हैं। कीट फूलों का दौरा करते समय, वे एक पुष्प से दूसरे पुष्प में पराग ले जाते हैं।
  • पंछी: पंछी भी परमाणुन के महत्वपूर्ण एजेंट्स हैं। पंछियाँ फूलों के नेक्टार या फल के कारण फूलों की आकर्षण करती हैं। पंछी फूलों का दौरा करते समय, वे एक पुष्प से दूसरे पुष्प में पराग ले जाते हैं।
  • प्राणी: प्राणी भी परमाणुन के महत्वपूर्ण एजेंट्स हैं। प्राणी फूलों के नेक्टार या फल के कारण फूलों की आकर्षण करते हैं। प्राणी फूलों का दौरा करते समय, वे एक पुष्प से दूसरे पुष्प में पराग ले जाते हैं।
परमाणुन का महत्व

परमाणुन कई पेड़ों की प्रजनन के लिए आवश्यक है। परमाणुन के बिना पेड़ों को बीज नहीं उत्पन्न कर सकते हैं, और नए पेड़ नहीं उगा सकते हैं। परमाणुन ने पेड़ी आबादियों में आनुवंशिक विविधता की सुरक्षा करने में भी मदद की है।

बारगल का ध्यान रखना पेड़ों के प्रजनन के लिए आवश्यक एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। यह पेड़ों के बीजों की उत्पत्ति और नवजातों की उत्पत्ति के लिए आवश्यक है। दुगना पराग प्रजनन एक अद्वितीय प्रजनन प्रक्रिया है जो फूलों वाले पेड़ों (अंगिओस्पर्म्स) में होती है। इसमें दो स्पर्मा कोशिकाओं को दो विभिन्न महिला जीवणु के साथ एकीकृत करने का महत्वपूर्ण भूमिका होती है, जिससे एक ज्योति और एक अन्तःशोष बनाने के माध्यम से एक जीव तथा एक अंतःशोय का गठन होता है। यह प्रक्रिया बीज विकास और अंशवानी के उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है।

दुगुणा पराग करने का प्रक्रिया:
  1. पूष्पणी: पराग अणु, जिनमें पुरुष जीवनुकों (प्राणिपुष्प) होते हैं, उन्हें संकटमान के प्राणिपुष्प पिस्तौल के प्राणिपुष्प पर स्थानांतरित किया जाता है।

  2. पराग अणु के बनावट का बायोडेविलोमा: पराग अणु बायोडेविलाप के लिए पिस्तौल पर उगते हैं, और एक पराग नली प्रवृद्धि ओव्ड के ओर एक पोषक नली के माध्यम से वृद्धि करती है।

  3. भ्रूण ग्रंथि में प्रवेश: पराग नली भ्रूण ग्रंथि में प्रवेश करती है, जो ओव्यूल के अंदर स्थित होती है।

  4. शुक्राणु के नियमितीकरण: दो शुक्राणु को पराग नली से भ्रूण ग्रंथि में छोड़ा जाता है।

  5. प्रलंबन:

    • संगम: एक शुक्राणु केल (महिला जीवागम) के साथ मिलकर एक डिप्लॉइड जयगूट गति का निर्माण करता है। इस प्रक्रिया को संगम के रूप में जाना जाता है।
    • त्रिवेणीकरण: दूसरा शुक्राणु, भ्रूण ग्रंथि के केंद्रीय कोशिका में स्थित दो धातु गहनों के संग मिलता है। यह त्रिवेणीकरण त्रिप्लॉइड प्राथमिक अन्त:रासायनिक निकटता (पीईएन) के निर्माण में संपन्न होता है।
द्विगुणन के परिणाम:
  • जयगूट: जयगूट एक भ्रूण में विकसित होती है, जो आगे नये पौधे का निर्माण करता है।
  • अंतःरस: प्राथमिक अंतःरस निकटता (पीईएन) एंडोस्पर्म में विकसित होता है, जो पौधे के विकसित होने वाले भाग को पोषण करने वाला ऊर्जापूर्ण ऊतक का कार्य करता है।
द्विगुणन की महत्ता:
  • बीज निर्माण: द्विगुणन के परिणामस्वरूप, बीजों का निर्माण होता है, जो एंगियोस्पर्म्स के विसर्जन इकाइयों होते हैं। बीजों में भ्रूण, अंतःरस और संरक्षक बीज कोश होते हैं, जो पौधे के जीवन्रक्षा और विसर्जन का नेतृत्व करते हैं।
  • आनुवंशिक विविधता: दो शुक्राणुओं का विभिन्न महिला जीवागमों के साथ मिलना, प्रजनन में आनुवंशिक विविधता को लाता है। यह आनुकूलन, प्रकृति के परिवर्तन के लिए, विकास के लिए और पृथ्वीय पर्यावरण में पौधे के अस्तित्व के लिए आवश्यक आनुवंशिक परिवर्तन होता है।

सारांश करें तो, द्विगुणन एक खास प्रजनन प्रक्रिया है जो एंगियोस्पर्म्स में दो शुक्राणुओं के दो महिला जीवागमों के संग मिलने का समर्थन करती है। इससे एक जयगूट निर्माण होता है, जो एक नया पौधा विकसित करता है, और एक अंतःरस निकटता, जो विकसित हो रहे भ्रूण को पोषण प्रदान करता है। यह प्रक्रिया बीज निर्माण और एंगियोस्पर्म्स में आनुवंशिक विविधता के लिए महत्त्वपूर्ण है, जो पौधों के परिसर में उनके पारिस्थितिकी सफलता और प्रमुखता में योगदान करता है।

प्रजनन के बादी घटनाएं

1. अंतःरस विकास

  • प्राथमिक अंतःरस निकटता बार-बार विभाजित होकर एक बहुकोशीय अंतःरस का निर्माण करता है।
  • सेल दीवार का निर्माण बाद में होता है, जिसके परिणामस्वरूप एक सेलुलर अंतःरस निर्मित होता है।
  • अंतःरस विकसित होने वाले भ्रूण के लिए पोषण स्रोत के रूप में इसका कार्य होता है।

2. भ्रूण विकास

  • जयगूट को तत्वशः बहुकोशीय प्रोभ्रूण प्राप्त होता है।
  • प्रोभ्रूण में सस्पेंसर और वास्तविक भ्रूण शामिल होते हैं।
  • सस्पेंसर भ्रूण को अंतःरस के साथ जोड़ने में सहायता करता है।
  • वास्तविक भ्रूण पौधे के शरीर में विकसित होता है।

3. बीज कोश निर्माण

  • ओव्यूल को घेरने वाली अंगसंयोजन बीज कोश में विकसित होती है।
  • बीज कोश भ्रूण को सूखा होने से और यांत्रिक नुकसान से संरक्षण प्रदान करता है।

4. फल विकास

  • अरिल का परिपाक फल में होता है।
  • फल बीजों को संरक्षा प्रदान करता है और उनके विसर्जन में मदद करता है।

5. बीज निद्रा

  • कई बीज असुवावधानकाल में शामिल होते हैं जब वे अंटर्वित नहीं होते हैं।
  • निद्रा अनुकूल स्थितियों के तहत बीजों को अंटर्वित होने से रोकती है।

6. बीज उगना

  • जब स्थितियाँ अनुकूल होती हैं, बीज अंकुरण करता है।
  • अंकुरण में ऊर्जावानता की पुनर्आरंभिक गतिविधि और भ्रूण की वृद्धि शामिल होती है।

7. बीजलिंग की वृद्धि

  • बीजलिंग पक्षीय पौधे में विकसित होती है।
  • बीजलिंग सूर्यकिरण आवश्यक होने तक बीज में संग्रहित पोषक पदार्थों पर आधारित होती है।
पौधों में लैंगिक प्रजनन के बारे में पूछे जाने वाले प्रश्न
पौधों में लैंगिक प्रजनन क्या होता है?

पौधों में लैंगिक प्रजनन में पुरुष और महिला जीवाणुओं के विलय से प्रत्युत्पन्नता होती है। पुरुष जीवाणु परागणों में उत्पन्न होते हैं, जबकि महिला जीवाणु ओवुलमें उत्पन्न होते हैं।

पौधों में लैंगिक प्रजनन के कौन-कौन से चरण होते हैं?

पौधों में लैंगिक प्रजनन में निम्नलिखित चरण होते हैं:

  1. परागमन: परागण पुरुष अंडकोष से महिला श्वासरंध्र में स्थानांतरित होते हैं।
  2. अंकुरण: परागण दानेदार परागण उत्पन्न करता है जो शैल तक बढ़ता है।
  3. उपशोधन: परागण नलिका ओवुलमें अंडे को निगलाता है, जहां वह अंडा गर्भाशय को प्रजनित करता है।
  4. बीज विकास: प्रजनित अंडा बीज में विकसित होता है।
  5. फल विकास: गर्भाशय फल में विकसित होता है, जो बीजों को संरक्षण प्रदान करता है।
पौधों में लैंगिक प्रजनन के फायदे क्या हैं?

पौधों में लैंगिक प्रजनन के कई फायदे हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

  • आनुवंशिक परिवर्धन: लैंगिक प्रजनन पुरे पर्यावरण में माता-पिता के जीवाणुओं के जीन को मिलाने की वजह से आनुवंशिक परिवर्धन करता है। यह आनुवंशिक परिवर्धन पौधों को परिवर्तनशील पर्यावरणीय स्थितियों में अनुकूल बनाने में मदद करता है।
  • उत्कृष्टता की वृद्धि: लैंगिक प्रजनन के माध्यम से उत्पन्न हुए अधिकांश अनुवंशिक पौधे लैंगिक उत्कृष्टता में अक्सर अधिक ताकतवर होते हैं। यह इसलिए होता है क्योंकि लैंगिक प्रजनन माता-पिता के सर्वश्रेष्ठ जीनों का मिश्रण करता है।
  • रोग संरक्षण: लैंगिक प्रजनन के माध्यम से उत्पन्न हुए पौधे आमतौर पर असंतानपन के माध्यम से उत्पन्न हुए पौधों से अधिक प्रतिरोधी रहते हैं। यह इसलिए होता है क्योंकि लैंगिक प्रजनन के माध्यम से सुरक्षित विशेषताओं वाले पौधों का चयन करने की अनुमति होती है।
पौधों में लैंगिक प्रजनन के कुछ नुकसान क्या हैं?

पौधों में लैंगिक प्रजनन के कुछ नुकसान भी हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

  • समय लागना: लैंगिक प्रजनन एक समय लागती प्रक्रिया होती है, क्योंकि इसमें कई महीने या तो सालों तक लग सकते हैं ताकि एक पौधा बीज पैदा कर सके।
  • संसाधन ज्यादता: लैंगिक प्रजनन के लिए काफी मात्रा में संसाधन, जैसे पानी और पोषक पदार्थों की आवश्यकता होती है।
  • अप्राकट्य: लैंगिक प्रजनन की सफलता अप्राकट्य हो सकती है, क्योंकि इसका सफलता पर्यावरण में पुष्टि करने वालों की उपलब्धता और मौसम जैसे कारकों पर निर्भर करती है।
निष्कर्ष

लैंगिक प्रजनन पौधों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, क्योंकि इससे उन्हें आनुवंशिक परिवर्धन और उच्च ताकतवरता वाले अंशावस्था वाले आदनुपाद उत्पन्न करने की अनुमति मिलती है। हालांकि, लैंगिक प्रजनन एक समय लागती और संसाधन ज्यादता वाली प्रक्रिया भी है, और इसकी सफलता अप्राकट्य हो सकती है।