Rbi Act, 1934

आरबीआई अधिनियम, 1934

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) अधिनियम, 1934, भारत की संसद का एक अधिनियम है जो आरबीआई के लिए वैधानिक ढांचा प्रदान करता है। यह अधिनियम 1 मार्च 1934 को पारित हुआ था और 1 अप्रैल 1935 को प्रभाव में आया।

आरबीआई अधिनियम, 1934 के उद्देश्य

आरबीआई अधिनियम, 1934 के मुख्य उद्देश्य हैं:

  • भारत में बैंकनोटों की जारीदारी और मुद्रा की आपूर्ति का नियमितीकरण करना।
  • भारत के विदेशी मुद्रा रिजर्वों का प्रबंधन करना।
  • भारत में वित्तीय प्रणाली के विकास को प्रोत्साहित करना।
  • भारत में बैंकिंग प्रणाली का पर्यवेक्षण और नियमितीकरण करना।
  • भारत सरकार के बैंकर के रूप में कार्य करना।
आरबीआई अधिनियम, 1934 के तहत आरबीआई के कार्य

आरबीआई आरबीआई अधिनियम, 1934 के तहत विभिन्न कार्य करता है, जिनमें शामिल हैं:

  • बैंकनोट और सिक्के जारी करना।
  • भारत के विदेशी मुद्रा रिजर्वों का प्रबंधन करना।
  • मौद्रिक नीति का आयोजन करना।
  • बैंकिंग प्रणाली को नियंत्रित करना।
  • वित्तीय प्रणाली के पर्यवेक्षण करना।
  • भारत सरकार के बैंकर के रूप में कार्य करना।
  • जनता को वित्तीय सेवाएं प्रदान करना।
आरबीआई का संगठन आरबीआई अधिनियम, 1934 के तहत

आरबीआई का प्रबंधन महानिदेशालय एक केंद्रीय मंडली द्वारा प्रबंधित होता है, जो बैंक के कुल प्रबंधन का दायित्व संभालती है। मंडली का मुख्यालय आरबीआई के गवर्नर द्वारा नियुक्त किया जाता है, जिसे भारत सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है। मंडली में उप-गवर्नर्स भी शामिल हैं, जिन्हें भी भारत सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है, और निदेशक भी हैं जिन्हें भारत सरकार, केंद्रीय सरकार और राज्य सरकारों द्वारा नियुक्त किया जाता है।

आरबीआई के प्राधिकार आरबीआई अधिनियम, 1934 के तहत

आरबीआई के पास आरबीआई अधिनियम, 1934 के तहत विभिन्न प्राधिकार होते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • बैंकनोट और सिक्के जारी करने की शक्ति।
  • भारत के विदेशी मुद्रा रिजर्वों का प्रबंधन करने की शक्ति।
  • मौद्रिक नीति का आयोजन करने की शक्ति।
  • बैंकिंग प्रणाली को नियंत्रित करने की शक्ति।
  • वित्तीय प्रणाली के पर्यवेक्षण करने की शक्ति।
  • भारत सरकार के बैंकर के रूप में कार्य करने की शक्ति।
  • जनता को वित्तीय सेवाएं प्रदान करने की शक्ति।
निष्कर्ष

आरबीआई अधिनियम, 1934 एक व्यापक विधानपीठ है जो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के लिए वैधानिक ढांचा प्रदान करता है। यह अधिनियम जब पहली बार पारित हुआ था तब से कई बार संशोधित किया गया है, लेकिन इसके मुख्य उद्देश्य और कार्य अब भी यही हैं। आरबीआई भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण संस्था है और यह वित्तीय प्रणाली का नियामक है और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।