Banking And Financial Committees In India
भारत में बैंकिंग और वित्तीय समितियों का संक्षेपण
भारत में बैंकिंग और वित्तीय विनियामक संरचना है, जिसमें कई समितियाँ और संगठन हैं जो क्षेत्र के विभिन्न पहलुओं की निगरानी करने के लिए जिम्मेदार हैं। ये समितियाँ देश में बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली की स्थिरता, कुशलता और पारदर्शिता को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यहाँ भारत में कुछ महत्वपूर्ण बैंकिंग और वित्तीय समितियाँ हैं:
1. वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (एफएसडीसी)
- एफएसडीसी भारतीय वित्तीय प्रणाली की वित्तीय स्थिरता और विकास की निगरानी के लिए प्रमुख संगठन है।
- इसका अध्यक्ष केंद्रीय वित्त मंत्री होता है और इसमें विभिन्न वित्तीय क्षेत्र के नियामक, जैसे कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), भारतीय प्रतिदर्शन और विनिमय बोर्ड (एसईबीआई), भारतीय बीमा निगरानी और विकास प्राधिकरण (आईआरडीआई) और पेंशन निधि निगरानी और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) शामिल होते हैं।
- एफएसडीसी के मुख्य उद्देश्य में वित्तीय स्थिरता को संवर्धित करना, वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना और सतत आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना शामिल हैं।
2. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई)
- आरबीआई भारत का केंद्रीय बैंक है और बैंकिंग क्षेत्र का प्रमुख नियामक है।
- इसका कार्य होता है मौद्रिक नीति के निर्धारण और कार्यान्वयन, बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थाओं के नियमन और देश के विदेशी मुद्रा मालिय संग्रह का प्रबंधन करना।
- आरबीआई वित्तीय समावेशन को प्रोत्साहित करने और वित्तीय प्रणाली की स्थिरता को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
3. भारतीय प्रतिदर्शन और विनिमय बोर्ड (एसईबीआई)
- एसईबीआई भारत में शेयर बाजार का नियामक है।
- इसका कार्य होता है इत्यादि वित्तीय उपकरणों, स्टॉक एक्सचेंज, म्यूचुअल फंड और अन्य निवेश प्राच्योगिकी के नियमन का।
- एसईबीआई के मुख्य उद्देश्यों में निवेशकों की सुरक्षा, न्यायपूर्ण और कुशल बाजारों को प्रोत्साहित करना और धोखाधड़ी और अंदरभ्रष्टाचार को रोकना शामिल हैं।
4. भारतीय बीमा निगरानी और विकास प्राधिकरण (आईआरडीआई)
- आईआरडीआई भारत में बीमा क्षेत्र का नियामक है।
- इसका कार्य होता है बीमा कंपनियों, बीमा अधिनियमीय और बीमा उत्पादों के नियमन का।
- आईआरडीआई के मुख्य उद्देश्य में पॉलिसीहोल्डरों की सुरक्षा, न्यायपूर्ण प्रतिस्पर्धा को संरक्षित करना और बीमा क्षेत्र के व्यवस्थित विकास को सुनिश्चित करना शामिल हैं।
5. पेंशन निधि निगरानी और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए)
- पीएफआरडीए भारत में पेंशन क्षेत्र का नियामक है।
- इसका कार्य होता है पेंशन निधि, पेंशन योजना और पेंशन अंतरबद्धों के नियमन का।
- पीएफआरडीए के मुख्य उद्देश्य में पेंशन निधि सदस्यों की सुरक्षा, रेटायटमेंट योजना को प्रोत्साहित करना और पेंशन क्षेत्र के व्यवस्थित विकास को सुनिश्चित करना शामिल हैं।
ये बैंकिंग और वित्तीय समितियाँ भारतीय वित्तीय प्रणाली की स्थिरता, कुशलता और पारदर्शिता को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वे संयुक्त रूप से क्षेत्र के विभिन्न पहलुओं का नियमित करती हैं, उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करती हैं।